Tuesday 5 August 2014

भगवद्गीता का सार


भगवद्गीता विश्वभर में भारत के अध्यात्म ज्ञान के मणि के रूप में विख्यात है। भगवान श्री कृष्ण द्वारा अपने घनिष्ट मित्र अर्जुन से कथित गीता के सारयुक्त 700 श्लोक आत्मसाक्सात्कार के विज्ञान के मार्गदर्शक का अचूक कार्य करते है। मनुष्य के सव्भाव उसके परिवेश तथा अन्ततोगत्वा भगवान श्री कृष्ण के साथ उसके सम्बन्ध को उद्घाटित करने में इसकी तुलना में अन्य कोई ग्रन्थ नहीं है।
कृष्णकृपामूर्ति श्री श्रीमद्..सी भक्तिवेदान्त सवामी प्रभुपाद विश्व के अग्र्रश्य वैदिक विद्वान है और वे भगवान श्री कृष्ण से चली रही अविच्छिन्न गुरू-शिष्य परम्परा का प्रतिनिधित्व करते है। इस प्रकार गीता के अन्य संस्करणों के विपरीत वे भगवान श्री कृष्ण के गंभीर संदेश को यथारूप प्रस्तुत करते है-किसी प्रकार के मिश्रण या निजी भावनाओं से संजित किए बिना है।
महात्मा गांधी
जब मैं मुसीबतों से घिरा होता हूं और जब मुझे आशा की कोई किरण नजर नहीं आती तब मैं भगवद्गीता के शलोक को पड़ कर अपना हृदय शांत कर लेता हुं। मुझे भगवद्गीता को पडक़र अपनी मुसीबतों से निजात मिल जाता है और मेरा चेहरा फिर से गुलाब की तरह खिल जाता है।


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